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Friday, 29 July 2016

'गोरा ना होना तलाक कि वजह

'गोरा ना होना तलाक कि वजह'

Skin colour in India is a very important issue
"शादी के बाद हम अपनी ज़िन्दगी में काफी खुश थे लेकिन तभी तक जब तक अमित का मेरे काले रंग को लेकर मज़ाक नहीं बना था", मीरा बताती हैं। "उसके बाद हमारी हर बहस मेरे काले रंग पर ही आकर रुकने लगी।"
परिवार, दोस्त और आसपास के लोग 'बदसूरत' बीवी चुनने के ताने अमित को देने लगे। गोरे रंग के महत्व ने एक खुशहाल शादी को बुरे सपने में परिवर्तित कर दिया और इसका अंत तलाक पर हुआ। 'मेरी कहानी' श्रंखला में इस बार हम बात करेंगे शादी और गोरे रंग के बारे में:
मेरे ख्य़ाल से हमारी लव स्टोरी प्यारी सी और सरल थी। अमित से मेरी मुलाकात कॉलेज में हुई। हम दोनों एक दूसरे से अलग थे और शायद इसी बात ने हमें एक दूसरे कि ऒर आकर्षित किया। अमित महत्वकांशी और बुद्धिमान था। साथ में लम्बा, गोरा और देखने में आकर्षक था. मैं लम्बी और बुद्धिमान तो थी, लेकिन गोरी नहीं थी।
डेटिंग के दो साल बाद हमने शादी करने का फैसला किया। उसकी माँ उसके इस फैसले से बहुत खुश प्रतीत नहीं हुई। मैं ये तो नहीं कहूँगी कि मैं सारी दुनिया से अलग हटके थी लेकिन हम दोनों एक दूसरे के अलग ज़रूर थे। मुझे अपने काले रंग से कोई शिकायत नहीं थी और मैं सामान्यतः जीवन से खुश थी। रंग गहरा था लेकिन मेरे नयन नक्श अच्छे ही थे।
सुखद जीवन
शादी का पहला साल काफी सुखमय निकला। मेरे गोरे न होने के बारे में अमित कि माँ के छोटे मोटे ताने और छींटाकशी को मैंने नज़रअंदाज़ कर दिया। शायद मैंने आदत डाल ली। शुरू में मैंने महसूस किया कि अमित ने भी इन् बातों पर ध्यान नहीं दिया। लेकिन गुज़रते समय के साथ शायाद एक ही बात बार-बार सुनने के चलते ये सोच उसके दिमाग में घर करने लगी कि शायद मेरी बजाय उसे कोई 'गोरी चिट्टी' लड़की को अपनी बीवी बनाना चाहिए था।
ऐसी ही एक छींटाकशी कि घटना के अगले दिन हम कुछ सामान खरीदने के लिए बाज़ार गए। वहाँ हमें अमित के ऑफिस का एक व्यक्ति मिला। इससे पहले कि अमित मेरा परिचय उससे करता, उस व्यक्ति ने कहा,"अमित हमें भाभीजी से कब मिलवा रहे हो? अपने डिज़ाइन किये हुए कपड़ों के लिए चुनी गयी मॉडल्स को देख कर ये तो पक्का है आपकी पत्नी उनसे कहीं ज़यादा सुन्दर होंगी।" और ये कहने के बाद उसे आभास हुआ कि मैं ही अमित कि पत्नी हूँ। उसे अपने शब्दों पर शायद थोड़ी शर्मिंदगी हुई और वो जल्दबाज़ी में वहाँ से निकल गया।
उसके अगले दिन अमित कि माँ तो चली गयी लेकिन अमित का मिज़ाज़ अचानक कुछ रूखा और उखड़ा उखड़ा सा था।
घटिया मज़ाक
जिस बात का अंदाज़ा मुझे नहीं था, वो ये थी कि अमित का जो साथी हमे बाज़ार में मिला था, उसने ऑफिस में अमित का मज़ाक बनाया था सबको यह कहकर कि अमित का चुनाव केवल मॉडल्स को लेकर ही अच्छा है। मुझे बिलकुल अंदाज़ा नहीं था कि उस व्यक्ति से इत्तेफाक से हुई मुलाकात अमित के लिए ऑफिस में इतनी बड़ी शर्मिंदगी बन जायेगी।
एक पार्टी से लौटने पर मैंने अमित से पुछा कि पार्टी कैसी थी? जवाब में उनसे खीजकर मेरे ऊपर एक कागज़ फेंका। उस कागज़ में अमित कि नयी डिज़ाइन थी और साथ में लिखा था," एक ऐसे डिज़ाइनर, जिनके मॉडल्स के चयन के मापदंड तो बहुत ऊँचे हैं लेकिन बीवी चुनने के नहीं।" ये अमित के साथियों का एक बेहद घटिया मज़ाक था।
अंत कि शुरुवात
ये हमारी शादी के अंत कि शुरुवात थी। अमित ने कुछ दिन बाद वो नौकरी छोड़ दी और हमारे बीच लड़ाइयां और दूरियां बढ़ती गयी। छोटी-छोटी बात पर खीज, बहस और लड़ाई। और इन् लड़ाइयों के दौरान उसने मुझे और मेरे काले रंग को अपनी नौकरी जाने  का जिम्मेदार भी ठहरा दिया। जैसे-जैसे लड़ाइयां बढ़ती गयी मैं अपने आप को कुसूरवार मानने लगी। शुरवात में वो गुस्सा शांत होने पर माफ़ी मांग लेता था लेकिन धीरे-धीरे वो दौर भी ख़त्म हो गया और केवल आरोप रह गए। उसे कुछ दिन बाद दूसरी नौकरी तो मिल गयी लेकिन वो अपनी पुरानी नौकरी जाने के गम से उबार नहीं पाया। हम अब ये समझने लगे थे कि अब हम दोनों कभी सामान्य नहीं हो पाएंगे। और आखिर हमने तलाक कि अर्ज़ी डाल ही दी।

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