अश्लील चलचित्र का सकारात्मक पहलु

आजकल पूरे भारत में अश्लील चलचित्र की चर्चा गरम है।हमें सदा से इसके
बारे में पता था लेकिन इसे अब फिर से चर्चा में लाया गया है।
प्रतिलिपिकरण
अश्लील चलचित्र से काफी अच्छी चीजें भी जुड़ी हुई हैं। और यादें भी। मेरे साथियों, अपने किशोरावस्था के दिन याद करो, अक्सर जिन दिनों पामेला एंडरसन नहीं दिखाई देती थी।
क्योंकि हम भारतीय लड़कियों के लिए यह आसान नहीं। बड़े लोग इस बारे में कोई बात नहीं करते। और जो हम दिखते सुनते हैं वो इंटरनेट से चुराया हुआ ही होता है। मुझे पहली बार मुखमैथुन के बारे में डी.पी.एस. के एम.एम.एस. कांड से पता चला था। मैं 18 साल का था और मेरे होश उड़ गये थे।
शिक्षा
दरअसल मुझे तब पता चला कि स्कूल के बच्चे भी ये सब करते हैं। शायद इसलिए कि मैं पहले से ही हैरी पॉटर वाले चश्मे और चिपकु बालो वाले सीधा साधा लड़का था।
लेकिन सच यही है कि इन्ही अश्लील चलचित्रों से मुझे संभोग और शारीरिक आनंद की जानकारी मिली। एक महत्वपूर्ण बात जो मैंने ये देख कर जानी और समझी वो ये थी कि महिलाओं के लिए भी संभोग अत्यंत आनंददायक होता है और उन्हें ये चाहिए होता है कि पुरूष उनका बहुत ध्यान रखें।
लेकिन दूसरी ओर, इस बारे में हर किसी से बात नहीं कर सकता। अपने परिवार के सदस्यों से तो बिल्कुल नहीं। जबकि इस विषय में कोई बुराई नहीं है।
सुरक्षित
शायद अश्लील चलचित्रों के बारे में एक धारणा बनी हुई है जो कि बहुत अच्छी नहीं है। कुछ लोगों का मनना है कि इस तरह की चीजें पुरूषों का बिस्तर में बहुत आक्रमक बना देती हैं।
क्या श्यन कक्ष में आक्रमक होना वाकई गलत बात है? मेरी राय में इस तरह के चलचित्र से कुछ अच्छी बातें भी सीख जा सकती हैं। मैं मानता हूं कि अच्छे स्तर के वीडियो कम दिखते हैं, लेकिन हैं जरूर जैसे 'Pleasure Project' वाले लोग कर रहे है।
सकारात्मक संदेश
लेकिन इस से जुड़ी संभावनाओं को भी देखिए। अलग-अलग कामुकता, शरीर की छवि, सुरक्षित सेक्स और सेक्स की तकनीक कुछ ऐसे विषय हैं जिन्नी जैक्सन और सन्नी लियोन के लिए आसान हैं।
और लोग सीखना भी चाहते हैं। कल ही मैंने इंडिया टुडे में पढ़ा कि विषम लैंगिक लोग भी समलैंगिक अश्लील चलचित्र देखना पसंद करते हैं।
मेरा ये विश्वास है कि अश्लील चलचित्र देश की सभ्यता और संस्कृति को बिल्कुल नुकसान नहीं पहुंचायेगा। क्यूंकि sex educationहमारे देश में नहीं है, ये उसकी कमी पूरी करने की क्षमता रखता है।
कानूनी
जानकारों का मानना है कि सेक्स जैसे विषय के बारे में अनौपचारिक तरीके से बात करना ज्यादा आसान है। तो ऐसे में सविता भाभी के किरदार का इंटरनेट पर युवा लड़कों का सेक्स का ज्ञान देना कहां गलत है?
मेरा सपना है कि एक दिन मेरे देश में इसे कानूनी दर्जा हासिल हो। मेरा सपना है कि मेरे बच्चे ऐसे देश में रहें जहां उन्हें सेक्स से जुड़ी पूरी और मनोरंजक जानकारी हासिल हो। उस दिन तक मैं बस सपने देखुंगा।
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