बिना शादी के साथ रहने वाले प्रेमी/प्रेमिका

हमारे न्यायालय इसे अनैतिक बताते है और मीडिया इसे एक सनक होने का
उपनाम देती है। तो आखिर, बिना शादी के साथ रहने का वास्तविकता में क्या
मतलब है?
हम जैसे काफी पुरषों के लिए, इसका आसान सा मतलब है मुफ्त का 'प्यार'।
जितने भी पुरुष, जो की बिना शादी के साथ रहने वाले रिश्ते में रहे है ये ज्यादा अच्छे से समझते है।
अधिकांश लोगों को लगता है की बिना शादी के साथ रहना पुरुषों के लिए फायदेमंद होता है। बिलकुल, हम ऐसे रिश्तों से कभी भी बाहर निकल सकते है और किसी भी तरह की ज़िम्मेदारी से हाथ हटा भी सकते है, वो भी बिना इस चिंता के की समाज हमें क्या बोलेगा।
लेकिन लड़कों सावधान! थोडा डरो इस रिश्ते से जिसमें तुम घुसने जा रहे हो। नहीं तो कम से कम ये तो जान लो की तुम किस तरह के रिश्ते में कदम रख रहे हो।
उम्मीद कर रहे हो की वो आपको आपके बिस्तर पर ही सुबह का नाश्ता देगी? मैं कहूँगा की आप इस धारणा को खुद ही तहस नहस कर दीजिये. क्यूंकि, एक आधुनिक पुरुष होने के नाते, आपसे ये उम्मीद करी जाएगी की आप खाना बनाये- और खाना अच्छा बनाये। या कम से कम, सारे अच्छे रेस्तौरंट्स के नंबर आपके फ़ोन पर ज़रूर हो।
आधुनिक महिलाएं सिर्फ खाना ही नहीं बनाती, बल्कि वो समय से घर वापस भी नहीं आती। हाँ, लेकिन उन दिनों आपको घर जल्दी ज़रूर आना पड़ेगा जब वो घर जल्दी पहुच जायें।
नहीं, आप हर सप्ताहांत अपने दोस्तों को घर नहीं बुला सकते, क्यूंकि उनके दोस्तों को आपके दोस्त पसंद नहीं। लेकिन आपसे ये साफ़ साफ़ उम्मीद होती है की आप उनके सभी दोस्तों को पसंद करें, जब तक की वो खुद किसी को नापसंद करने के लिए नहीं कहें।
ओर्गास्म/चरमानंद
और ये मुफ्त का सेक्स भी इतना मुफ्त नहीं मिलेगा। शुरुआत अच्छी होती है। जी हाँ, परंपरा का सम्मान करते हुए, घर के हर कमरे में सहवास करना ज़रूरी होता है। लेकिन फिर चीज़ें थोड़ी धीरे हो जाती है।
हाल ही में एक पूरी तरह से वैज्ञानिक शोध में पाया गया की चरमानंद की संख्या ४४ प्रतिशत घट गयी है जबसे दिल्ली के कुछ दर्जन पुरुष अपनी महिला साथी (गर्लफ्रेंड) के साथ बिना शादी के रहने लगे। इसका कथित स्पष्टीकरण ये दिया गया की जब लड़की को एक बार वो सब मिल जाये जो उसे चाहिए, तो वो उसके लिए ज्यादा मेहनत क्यूँ करें?
ईर्ष्यालु राक्षस
अब और कोई ख़ास अवसर नहीं होंगे। दोस्त की पार्टी में झटपट सम्भोग भी नहीं। ना ही कोई सम्भोग से भरी छुट्टियाँ। असल में, कुछ हफ़्तों बाद, या तो ये सब नीरस हो जायेगा या फिर होगा ही नहीं। जब ज़करबर्ग ने फेसबुक पे रिश्तों के लिए 'इट्स कोम्प्लिकैटिड' (उलझा हुआ) दर्जा बनाया, मुझे लगता है शायद वो बिना शादी के साथ रहने वाले रिश्तों के बारें में ही सोच रहा था।
तो ना खाना और ना ही सम्भोग, और अब कहानी का रुख मुड़ता है और भी बत्तर चीज़ों की ओर। बिना शादी के साथ रहने वाले सम्बन्ध को शादी की तरह सोचे, सारे काम काज के साथ लेकिन बिना कोई अनुलाभ। लाइट बल्ब ठीक करना और कूड़ादान खाली करना तो ठीक है, लेकिन जो चीज़ नामौजूद है वो है वचनबधता की समझ। क्यूंकि शादी का कोई बंधन नहीं है, बिलकुल समझदार पुरुष भी ईर्ष्यालु राक्षस में परिवर्तित हो जाते है।
माँ का दोष
आप उनके अमीर दोस्तों और सुंदर सहकर्मियों से मिलेंगे, वो जो की आपसे ज्यादा मजाकिए है और जिनके साथ वो आपसे ज्यादा समय भी बिताती है। आपको उनकी देर रात तक चलने वाली स्काइप की बातचीत और सुबह सुबह की कांफेरेंस काल्स, वो भी उन लोगों के साथ जिनको आप भी अपने से बेहतर समझती है, को झेलना पड़ेगा। और आपको उनके साथ अच्छा व्यहवार भी रखना होगा नहीं तो आपको 'प्रतिबन्ध लगाने वाला' साबित कर दिया जायेगा। या तो इससे भी बुरा- एक 'ज़रूरतमंद आदमी'। क्या मुझे और भी कुछ लिखने की ज़रूरत है?
मैं अपनी माँ को दोषी मानूंगा। और आपको भी। ये उन सब उम्मीदों का नतीजा है जिनको उस औरत ने बढ़ावा दिया जिसके साथ हम अब तक रह रहे थे। वो हमेशा हमें खुश करने में ही लगी रहती थी और कुछ भी करने नहीं देती थी।
अदला बदली सीखिए
हाँ तो आखिर क्या विचार है? बिना शादी के अपने साथी के साथ नहीं रहना? नहीं नहीं, रुकिए- मैं सिर्फ आपको डरा रहा था।
सच तो ये है की शायद ये आपकी ज़िन्दगी का सबसे अच्छा निर्णय हो। आखिर, ये द्रृढ़तापूर्वक अपना साथी चुनने की आज़ादी है और आप जैसे रहना चाहते है वैसे रहने की आज़ादी। काम काज आपस में बाटना सीखिए और साथ में और भी बहुत कुछ मजेदार चीज़ें करने का मौका। एक साथ खाना बनाना सीखने वाली क्लास्सेस ले, कुछ मजेदार सेक्स सम्बन्धी खिलोने खरीदे और पता लगाइए की क्या वाकई आप एक दुसरे के लिए बने है या नहीं।
और जैसा की नित्ज्स्चे या उसकी भतीजी ने सुविदित रूप से कहा है, ऐसा कोई भी अनुभव जिससे आप मरते नहीं, आपको और भी बलवान बना देता है
HI
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