मुलाकात से पहले जानने कि कोशिश करें कि उनको क्या
पसंद है - कोई फ़िल्म या क्रिकेट मैच, म्यूजियम या फिर एक लम्बी सैर। अपने
आस पास के स्थानो के बारे में प्लान करें जहाँ आप दोनों इत्मीनान से बातचीत
कर सकें। मुलाकात महंगी जगह पर करना बिलकुल ज़रूरी नहीं है।
ध्यान ना देना
शारीरिक असंतुष्टि
सेक्स
किसी भी अंतरंग रिश्ते का बेहद ज़रूरी अंश है। बिगड़ता हुआ शारीरिक रिश्ता
अक्सर बिगड़ते हुए भावनात्मक रिश्ते कि वजह बन सकता है। यदि आपका साथी सेक्स
को लेकर उतना उत्साहित न हो जितना कि आप हैं तो आपको कहीं न कहीं असंतुष्ट
महसूस होने लगता है। साथ ही इसके विपरीत जब आप अपने साथी को निराश करते
हैं तो आपके मन में भी भारीपन आ जाता है।
दोनों में से एक का सेक्स को लेकर अधिक उतसहित रहना बहुत ही सामान्य बात है।
यदि आपका साथी सेक्स के लिए इछुक न हो तो मजबूर बिलकुल न करें- मजबूर
करने से उनकी रूचि और कम ही होगी। और यदि मना करने वाले आप हैं तो उन्हें
बताइये कि आप कब इसके लिए तैयार होंगे।
ये भी सम्भव है आप दोनों कि पसंद सेक्स को लेकर एक जैसी न हो। हो सकता
है कि आपके साथी को मुखमैथुन पसंद हो जबकि आपको न हो, हो सकता है कि आप के
साथी को नरमी के साथ सौम्य सेक्स पसंद हो जबकि आपकी व्यक्तिगत पसंद रफ हो।
ज़बस्दस्ती अपनी पसंद मनवाना बिलकुल गलत होगा। सही उपाय होगा इस बारे में
खुलकर बात करना ताकि आप दोनों ज़रूरतों को सही तरीके से समझ सकें।
यदि आप अपने सेक्स जीवन से खुश नहीं हैं तो बात करना ही सबसे अच्छा हल
है। अपने साथी पर ऊँगली उठाने से समस्या का हल निकलना कठिन है। खुलकर चर्चा
कीजिये और अपने साथी का नज़रिया अच्छी तरह से जानिये।
लगभग
हर इंसान के लिए रिश्ते कि बहुत भावनात्मक एहमियत होती है। जब हमें ऐसा
लगे कि हमारा साथी हम पर ध्यान नहीं दे रहा तो असंतुष्टि लगभग स्वाभाविक सी
हो जाती है। तो जब आपका साथी काम के सिलसिले में आपसे दूर जाये और आपको
बिलकुल फोन न करे तो आपको बुरा लग ही जाता है।
यदि आपको लगने लगे कि आपके साथी ने आप पर ध्यान देना कम या बंद कर दिया
है तो आप सोचने लगते हैं कि कहीं कुछ गलत हो रहा है। वहीँ दूसरी और यदि कम
या किसी और दबाव के चलते आप ये महसूस करते हैं कि आप अपने साथी को पर्याप्त
समय या महत्व नहीं दे पा रहे तो आप पर भी एक दबाव सा बनने लगता है।
दोनों ही हालात में, बातचीत करना ही सही उपाय है। अपनी ज़रूरतों और
अपेक्षाओं के बारे में खुल कर बात करना किसी भी परपक्व रिश्ते कि पहली
ज़रूरत है। संवाद का आभाव अक्सर एक दूसरे कि ज़रूरतों को समझने में मुश्किलें
पैदा करता है। बात करने से मुश्किलों का हल ढूंढ़ना थोडा आसान हो जाता है।
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