काफी ढूंढ़ने पर भी शायद ही आपको कोई ऐसा जोड़ा दिखेगा जिनके बीच में
कभी न कभी नोंकझोंक या अनबन न हुई हो। हालाँकि ये नोंकझोंक सामान्य हैं,
लेकिन इन पर ध्यान देना ज़रूरी है। अक्सर ये वो चिंगारियां होती हैं,
जिन्हे नज़रअंदाज़ किया जाये तो आगे चलकर रिश्तों में आग का रूप भी ले सकती
हैं।
हम सभी के मन में मतभेद करने कि कोई वजह होती है। कभी
हमारा विश्वास, कभी अहंकार और कभी ये साबित करने कि ज़िद कि आप सही हैं और
आपका साथी गलत। वजह जो भी हो लेकिन वजह मालूम हो तो बेहतर है।
आप भी अपनी बहस या मतभेद को कुछ मूलभहोत नियमो के दायरे में रख सकते हैं। बहस अक्सर बढ़ते बढ़ते लड़ाई का रूप ले लेती है, बात बढ़ने के साथ आवाज़ भी बढ़ जाती है और कुछ मामलों में हिंसा तक भी पहुँच जाती है। इस सब से बचने का सही तरीका है कि हमेशा ध्यान रखें कि दूरों के साथ वैसा बर्ताव करना ज़रूरी है जैसा आप अपने साथ पसंद करते हैं। बहस के दौरान क्या करें और क्या न करें, ये जानने के लिए आप हमारी टिप्स पढ़ सकते हैं।
यदि आप और आपके साथी में एक ही बात को लेकर बार बार बहस या लड़ाई हो रही है, तो शायद कोई ऐसा मुद्दा है जिसका हल निकलना मुश्किल हो रहा है। इनका निबटारा करने के लिए एक अलग सोच कि ज़रूरत है। अब आप आपको दरअसल ज़रूरत है छोटे मुद्दों को नज़रअंदाज़ करके अनबन कि मूलभूत जड़ तक पहुंचना। कौनसी ऐसी बातें हैं जिन पर आम राय बनाना सम्भव है, और कौनसी नहीं। यदि आपको लगे कि किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप से इन् मुद्दों का समाधान बेहतर तरीके से सम्भव है तो आप ऐसा भी कर सकते हैं। by amit dev yadav
आप भी अपनी बहस या मतभेद को कुछ मूलभहोत नियमो के दायरे में रख सकते हैं। बहस अक्सर बढ़ते बढ़ते लड़ाई का रूप ले लेती है, बात बढ़ने के साथ आवाज़ भी बढ़ जाती है और कुछ मामलों में हिंसा तक भी पहुँच जाती है। इस सब से बचने का सही तरीका है कि हमेशा ध्यान रखें कि दूरों के साथ वैसा बर्ताव करना ज़रूरी है जैसा आप अपने साथ पसंद करते हैं। बहस के दौरान क्या करें और क्या न करें, ये जानने के लिए आप हमारी टिप्स पढ़ सकते हैं।
यदि आप और आपके साथी में एक ही बात को लेकर बार बार बहस या लड़ाई हो रही है, तो शायद कोई ऐसा मुद्दा है जिसका हल निकलना मुश्किल हो रहा है। इनका निबटारा करने के लिए एक अलग सोच कि ज़रूरत है। अब आप आपको दरअसल ज़रूरत है छोटे मुद्दों को नज़रअंदाज़ करके अनबन कि मूलभूत जड़ तक पहुंचना। कौनसी ऐसी बातें हैं जिन पर आम राय बनाना सम्भव है, और कौनसी नहीं। यदि आपको लगे कि किसी तीसरे व्यक्ति के हस्तक्षेप से इन् मुद्दों का समाधान बेहतर तरीके से सम्भव है तो आप ऐसा भी कर सकते हैं। by amit dev yadav
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