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Sunday, 21 August 2016

चर्म रोग

चर्म रोग कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि- दाद, खाज, खुजली, छाछन, छाले, खसरा, फोड़े, फुंसी आदि। बहुत से मामलों में हम आयुवेदिक व घरेलू उपचार से रोग को ठीक कर सकते हैं, पर कई मामलो में एक अच्छे dermatologist से सलाह लेना उचित होता है। Skin disease में बहुत से लोगों को होमियोपैथी की दवाओं से भी काफी लाभ मिलता है। आज इस लेख में हम चर्म रोग ठीक करने के आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में बात करेंगे।


चर्म रोग दूर करने के आयुर्वेदिक व घरेलू उपाय


Ayurvedic Treatment for Skin Disease in Hindi चर्म रोग आयुर्वेदिक उपचारचर्म रोग कई प्रकार के होते हैं। जैसे कि- दाद, खाज, खुजली, छाछन, छाले, खसरा, फोड़े, फुंसी आदि। बहुत से मामलों में हम आयुवेदिक व घरेलू उपचार से रोग को ठीक कर सकते हैं, पर कई मामलो में एक अच्छे dermatologist से सलाह लेना उचित होता है। Skin disease में बहुत से लोगों को होमियोपैथी की दवाओं से भी काफी लाभ मिलता है। आज इस लेख में हम चर्म रोग ठीक करने के आयुर्वेदिक तरीकों के बारे में बात करेंगे।

Ayurvedic Treatment for Skin Disease in Hindi / Home Remedies for Skin Diseases

चर्म रोग दूर करने के आयुर्वेदिक व घरेलू  उपाय

चर्म रोग होने के कारण / Cause of Skin Disease in Hindi

चर्म रोग होने के कई कारण हो सकते हैं:
  • अधिकतर समय धूप में बिताने वाले लोगों को चर्म रोग होने का खतरा ज्यादा होता है।
  • किसी एंटीबायोटिक दवा के खाने से साइड एफेट्स होने पर भी त्वचा रोग हो सकता है।
  • महिलाओं में मासिक चक्र अनियमितता की समस्या हो जाने पर भी उन्हे चर्म रोग होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।
  • शरीर में ज़्यादा गैस जमा होने से खुश्की का रोग हो सकता है।
  • अधिक कसे हुए कपड़े पहेनने पर और नाइलोन के वस्त्र पहनने पर भी चमड़ी के विकार ग्रस्त होने का खतरा होता है।
  • नहाने के साबुन में अधिक मात्रा में सोडा होने से भी यह रोग हो सकता है।
  • खुजली का रोग ज़्यादातर शरीर में खून की खराबी के कारण उत्पन्न होता है।
  • गरम और तीखीं चिज़े खाने पर फुंसी और फोड़े निकल आ सकते हैं।
  • आहार ग्रहण करने के तुरंत बाद व्यायाम करने से भी चर्म रोग होने की संभावना रहती है।
  • उल्टी, छींक, डकार, वाहर (Fart), पिशाब, और टट्टी इन सब आवेगों को रोकने से चर्म रोग होने का खतरा रहता है।
  • शरीर पर लंबे समय तक धूल मिट्टी और पसीना जमें रहने से भी चर्म रोग हो सकता है।
  • और भोजन के बाद विपरीत प्रकृति का भोजन खाने से कोढ़ का रोग होता है। (उदाहरण – आम का रस और छाछ साथ पीना)।

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