रिश्तों से जुडी समस्याएं

हर प्रेम कहानी का अंत सुखद हो, ऐसा ज़रूरी नहीं। ये कहना सही होगा कि
लगभग हर रिलेशनशिप को कठनाइयों का दौर भी देखना पड़ता है। इनके अलग-अलग
कारण हो सकते हैं। आइये ज़रा इस बारें में और चर्चा करें।
चित्र © Love Matters
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ध्यान ना देना
लगभग
हर इंसान के लिए रिश्ते कि बहुत भावनात्मक एहमियत होती है। जब हमें ऐसा
लगे कि हमारा साथी हम पर ध्यान नहीं दे रहा तो असंतुष्टि लगभग स्वाभाविक सी
हो जाती है। तो जब आपका साथी काम के सिलसिले में आपसे दूर जाये और आपको
बिलकुल फोन न करे तो आपको बुरा लग ही जाता है।
यदि आपको लगने लगे कि आपके साथी ने आप पर ध्यान देना कम या बंद कर दिया है तो आप सोचने लगते हैं कि कहीं कुछ गलत हो रहा है। वहीँ दूसरी और यदि कम या किसी और दबाव के चलते आप ये महसूस करते हैं कि आप अपने साथी को पर्याप्त समय या महत्व नहीं दे पा रहे तो आप पर भी एक दबाव सा बनने लगता है।
दोनों ही हालात में, बातचीत करना ही सही उपाय है। अपनी ज़रूरतों और अपेक्षाओं के बारे में खुल कर बात करना किसी भी परपक्व रिश्ते कि पहली ज़रूरत है। संवाद का आभाव अक्सर एक दूसरे कि ज़रूरतों को समझने में मुश्किलें पैदा करता है। बात करने से मुश्किलों का हल ढूंढ़ना थोडा आसान हो जाता है।
यदि आपको लगने लगे कि आपके साथी ने आप पर ध्यान देना कम या बंद कर दिया है तो आप सोचने लगते हैं कि कहीं कुछ गलत हो रहा है। वहीँ दूसरी और यदि कम या किसी और दबाव के चलते आप ये महसूस करते हैं कि आप अपने साथी को पर्याप्त समय या महत्व नहीं दे पा रहे तो आप पर भी एक दबाव सा बनने लगता है।
दोनों ही हालात में, बातचीत करना ही सही उपाय है। अपनी ज़रूरतों और अपेक्षाओं के बारे में खुल कर बात करना किसी भी परपक्व रिश्ते कि पहली ज़रूरत है। संवाद का आभाव अक्सर एक दूसरे कि ज़रूरतों को समझने में मुश्किलें पैदा करता है। बात करने से मुश्किलों का हल ढूंढ़ना थोडा आसान हो जाता है।
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